अदानी समूह का खवड़ा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क: भारत का वैश्विक नेतृत्व की ओर ऐतिहासिक कदम

भारत सतत विकास और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में तेज़ी से अग्रसर है, और इसका बेहतरीन उदाहरण है गुजरात के कच्छ जिले में बन रहा अदानी समूह का खवड़ा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क। हाल ही में डेनमार्क के पूर्व राजदूत फ्रेडी स्वेन ने इस परियोजना की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए इसे स्वच्छ ऊर्जा का वैश्विक मानक बताया है। उन्होंने इस परियोजना को एक "वैश्विक बेंचमार्क" करार दिया, जो न केवल भारत की तकनीकी और पर्यावरणीय क्षमता को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि भारत अब जलवायु नेतृत्व की दौड़ में पीछे नहीं है।



यह पार्क 538 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो क्षेत्रफल में पेरिस शहर से पांच गुना बड़ा और मुंबई के बराबर है। इस परियोजना का उद्देश्य 30 गीगावाट (GW) की स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न करना है, जो लगभग 1.8 करोड़ घरों को बिजली देने के लिए पर्याप्त होगी। यह न केवल भारत के ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति लाने वाला कदम है, बल्कि दुनिया में सबसे बड़े अक्षय ऊर्जा पार्क के रूप में भी इसे मान्यता मिल रही है।

अदानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (AGEL) द्वारा संचालित इस पार्क का एक हिस्सा पहले ही चालू हो चुका है। 1,000 मेगावाट (MW) की सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता को सफलतापूर्वक जोड़ दिया गया है। इस उपलब्धि के साथ AGEL की कुल परिचालन क्षमता 9,478 मेगावाट हो चुकी है, और कंपनी का लक्ष्य है कि वह 2030 तक 45,000 मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को हासिल कर ले। यह भारत सरकार की 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों से ऊर्जा उत्पन्न करने की नीति के बिल्कुल अनुरूप है, जो 2030 तक तय किया गया है।

खवड़ा परियोजना से हर साल लगभग 81 बिलियन यूनिट स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन होगा, जिससे देश की बिजली आपूर्ति प्रणाली पर बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यह ऊर्जा उत्पादन 63.6 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोकने में मदद करेगा, जो लगभग 300 करोड़ पेड़ों के बराबर कार्बन अवशोषण के बराबर है। यह भारत के कार्बन न्यूट्रल बनने की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है।

पूर्व डेनिश राजदूत फ्रेडी स्वेन की टिप्पणी इस बात का प्रमाण है कि दुनिया अब भारत को ऊर्जा क्षेत्र में एक अग्रणी खिलाड़ी के रूप में देखने लगी है। उनका कहना है कि खवड़ा पार्क जैसी परियोजनाएं वैश्विक समुदाय को यह दिखाने का एक ज़रिया हैं कि भारत जलवायु संकट के समाधान का हिस्सा है, समस्या नहीं।

यह परियोजना देश को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर ले जा रही है, साथ ही इससे हजारों लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। खवड़ा जैसे प्रोजेक्ट भारत को न केवल ऊर्जा संकट से बचाएंगे, बल्कि वैश्विक मंच पर उसकी पहचान को और सशक्त करेंगे।

इस प्रकार, अदानी समूह की यह विशाल परियोजना सिर्फ एक इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय विजन है, जो “विकसित भारत” के सपने को हकीकत में बदलने की दिशा में एक मजबूत कदम है। खवड़ा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क आने वाले वर्षों में दुनिया भर के देशों के लिए एक प्रेरणास्रोत बनेगा और यह दिखाएगा कि भारत कैसे पर्यावरण संरक्षण और विकास के बीच संतुलन बनाना जानता है।