महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने एक बड़े जासूसी नेटवर्क का भंडाफोड़ करते हुए पुणे से 27 वर्षीय इंजीनियर रविंद्र मुरलीधर वर्मा को गिरफ्तार किया है। वर्मा पर आरोप है कि उन्होंने भारतीय नौसेना के कई युद्धपोतों और पनडुब्बियों से जुड़ी अत्यंत गोपनीय जानकारियाँ पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी को लीक की। यह जानकारी सोशल मीडिया पर हनीट्रैप के ज़रिए हासिल की गई, जहाँ उन्हें ‘पायल शर्मा’ नाम की एक महिला प्रोफ़ाइल के माध्यम से निशाना बनाया गया।
रविंद्र वर्मा एक निजी रक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी में जूनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। ATS की रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें नवंबर 2024 से मार्च 2025 के बीच पाकिस्तानी खुफिया एजेंट द्वारा हनीट्रैप किया गया, जिसने फेसबुक पर ‘पायल शर्मा’ नाम से एक नकली महिला प्रोफ़ाइल बनाकर वर्मा को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी। धीरे-धीरे बातचीत बढ़ने के बाद, एजेंट ने व्हाट्सएप के ज़रिए उनसे रक्षा से जुड़ी संवेदनशील जानकारियाँ प्राप्त कीं।
ATS की गहन जांच में यह खुलासा हुआ कि रविंद्र वर्मा ने भारतीय नौसेना के 14 युद्धपोतों और पनडुब्बियों से संबंधित सूचनाएं, जैसे उनकी स्थिति, संचालन और आंतरिक प्रक्रियाएं, पाकिस्तान को भेजीं। जब ATS ने उनके पास छापा मारा, तो उनके मोबाइल फोन और डायरी से कई ऑडियो नोट्स, दस्तावेज़ और जानकारियां बरामद हुईं, जिनमें से कई को गोपनीय और संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है।
रविंद्र वर्मा को गिरफ्तार करने के बाद, उन्हें ठाणे की अदालत में पेश किया गया, जहां न्यायालय ने उन्हें 2 जून 2025 तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है। उनके खिलाफ आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 और भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। जांच में यह भी सामने आया है कि उन्हें भारत और विदेशों से कई बैंक खातों के ज़रिए पैसे मिले, जो स्पष्ट रूप से जासूसी कार्यों के बदले में दिए गए थे।
भारतीय नौसेना के सूत्रों ने पुष्टि की है कि लीक की गई सूचनाएं महत्वपूर्ण थीं और इनसे भारत की समुद्री सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता था। ATS की जांच टीम अब इस बात का पता लगाने में जुटी है कि क्या वर्मा किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा थे या उन्होंने अकेले ही यह अपराध किया।
इस घटना ने देश की सुरक्षा व्यवस्था को एक बार फिर झकझोर कर रख दिया है और यह स्पष्ट कर दिया है कि सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म पर जरा-सी असावधानी से राष्ट्र की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। हनीट्रैप के ज़रिए इस प्रकार की जासूसी का तरीका भले नया नहीं है, लेकिन इस बार यह संकेत देता है कि दुश्मन अब टारगेटेड साइबर हथकंडों और भावनात्मक जाल के ज़रिए रक्षा तंत्र में सेंध लगाने की रणनीति अपना रहे हैं।
यह मामला उन सभी कर्मियों के लिए चेतावनी है जो रक्षा या रणनीतिक संस्थाओं में कार्यरत हैं। सोशल मीडिया पर अनजान प्रोफाइल से संपर्क बनाना, व्यक्तिगत या संस्थागत जानकारियाँ साझा करना, और डिजिटल माध्यमों पर सतर्क न रहना राष्ट्र के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। अब यह ज़रूरी हो गया है कि सरकार और रक्षा मंत्रालय मिलकर ऐसे कर्मियों को साइबर सुरक्षा और सोशल मीडिया के खतरे को लेकर प्रशिक्षण दें और नियमित जांच की व्यवस्था लागू करें।
इस गिरफ्तारी ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि भारत की सुरक्षा एजेंसियाँ देशविरोधी तत्वों पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। लेकिन देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत बनाए रखने के लिए नागरिकों और रक्षा कर्मियों की सतर्कता भी उतनी ही आवश्यक है