उत्तराखंड की चारधाम यात्रा धार्मिक आस्था और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रमुख केंद्र है, जहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। लेकिन हाल के दिनों में इस पवित्र यात्रा मार्ग पर हो रही हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं ने न केवल श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि हेली सेवाओं के संचालन में लापरवाही की ओर भी इशारा किया है। 7 जून 2025 को केदारनाथ धाम के निकट एक और हेलीकॉप्टर दुर्घटना की खबर सामने आई है, जो पिछले 30 दिनों में इस क्षेत्र की चौथी हेलीकॉप्टर घटना बन गई है।
यह हादसा रुद्रप्रयाग जिले के बड़ासू क्षेत्र में उस समय हुआ जब एक निजी हेलीकॉप्टर, जो सिरसी हेलीपैड से केदारनाथ की ओर उड़ान भर रहा था, तकनीकी खराबी के कारण हाईवे पर इमरजेंसी लैंडिंग के लिए मजबूर हो गया। लैंडिंग के दौरान हेलीकॉप्टर एक कार से टकरा गया जिससे वाहन को नुकसान पहुंचा। गनीमत रही कि हेलीकॉप्टर में सवार सभी यात्री सुरक्षित हैं, हालांकि सह-पायलट को हल्की चोटें आई हैं। घटना के तुरंत बाद स्थानीय प्रशासन और पुलिस मौके पर पहुंच गए और राहत कार्य शुरू किया गया।
यह हालिया दुर्घटना तब और भी चिंता का विषय बन जाती है जब इसे पिछले 30 दिनों में हुई अन्य हेलीकॉप्टर घटनाओं से जोड़कर देखा जाए। 8 मई को उत्तरकाशी जिले के गंगनानी क्षेत्र में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, जिसमें छह लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। वहीं 17 मई को एम्स ऋषिकेश की एक हेली एंबुलेंस केदारनाथ में आपातकालीन लैंडिंग के दौरान क्षतिग्रस्त हो गई थी। इससे पहले भी चारधाम मार्ग पर हेलीकॉप्टर सेवाओं को लेकर कई शिकायतें सामने आ चुकी हैं।
इन घटनाओं ने चारधाम यात्रा के दौरान हेली सेवा सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि है, और इसके लिए राज्य सरकार, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और हेली सेवा कंपनियों को मिलकर व्यापक कार्रवाई करनी होगी। हर हेलीकॉप्टर की उड़ान से पहले उसकी तकनीकी जांच, पायलटों का प्रशिक्षण, मौसम की सटीक जानकारी और आपात स्थिति से निपटने की तैयारी अत्यंत आवश्यक है। साथ ही, यह भी जरूरी है कि पर्यटन और तीर्थाटन के नाम पर सुरक्षा मानकों से कोई समझौता न किया जाए।
उत्तराखंड जैसे पहाड़ी और संवेदनशील भूभाग में हवाई सेवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है, लेकिन यदि ये सेवाएं सुरक्षित नहीं हैं, तो वे वरदान की बजाय अभिशाप बन सकती हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह इन घटनाओं की निष्पक्ष जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करे और हेलीकॉप्टर सेवाओं को नियमित और सुरक्षित बनाए।
श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए आते हैं, न कि किसी दुर्घटना का शिकार बनने के लिए। चारधाम यात्रा की पवित्रता और सुरक्षा बनाए रखना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। सरकार को अब और देरी नहीं करनी चाहिए और हेलीकॉप्टर सुरक्षा नीति को पुनः परिभाषित कर कड़े कदम उठाने चाहिए, जिससे इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।