महबूबा मुफ्ती पहुंचीं खीर भवानी मंदिर: क्या ये कश्मीर में बदलते सामाजिक समीकरणों का संकेत है?

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है उनका प्रसिद्ध खीर भवानी मंदिर का दौरा। गांदरबल जिले के तुलमुला गांव में स्थित यह मंदिर देवी राग्याना को समर्पित है और यह कश्मीरी पंडित समुदाय के लिए बेहद पवित्र माना जाता है। महबूबा मुफ्ती के इस दौरे ने जहां धार्मिक सहिष्णुता और सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश दिया, वहीं कुछ सवाल भी खड़े हुए हैं—विशेषकर तब जब सोशल मीडिया पर उनका पूजा न करना चर्चा का विषय बन गया है।



महबूबा मुफ्ती खीर भवानी मंदिर के दर्शन करने पहुंचीं लेकिन वायरल वीडियो में वह केवल खड़ी नजर आ रही हैं। पूजा करते हुए उनके साथ मौजूद एक सहयोगी जरूर दिख रहा है, लेकिन खुद महबूबा देवी को जल अर्पण या परंपरागत पूजा करते नहीं दिखीं। इसके ठीक पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी इसी मंदिर में गए थे और उन्होंने विधिवत पूजा-अर्चना की थी, जिससे दोनों नेताओं की तुलना भी होने लगी है।

महबूबा मुफ्ती ने मीडिया से बात करते हुए स्पष्ट किया कि उनका मकसद कश्मीरी पंडित समुदाय के साथ एकजुटता दिखाना और उनकी वापसी के लिए भरोसे का माहौल बनाना है। उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर, कश्मीरी पंडितों के बिना अधूरा है और उनकी वापसी सरकार की जिम्मेदारी है। पिछले कुछ वर्षों से लगातार यह प्रयास किया जा रहा है कि विस्थापित पंडित समुदाय को वापस घाटी में बसाया जाए, लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है।

खीर भवानी मंदिर का मेला हर साल जेष्ट अष्टमी के दिन आयोजित होता है, जिसमें हजारों की संख्या में कश्मीरी पंडित देश-विदेश से शामिल होते हैं। इस आयोजन में स्थानीय मुस्लिम समुदाय भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है, जो कश्मीर की पारंपरिक गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक माना जाता है। महबूबा मुफ्ती का मंदिर जाना भी इसी सांस्कृतिक धरोहर की ओर एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

हालांकि, कुछ लोग इस दौरे को महज एक राजनीतिक स्टंट करार दे रहे हैं। उनका मानना है कि यह 2024 लोकसभा चुनाव और आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी के तहत की गई एक रणनीतिक पहल है, ताकि महबूबा मुफ्ती की धर्मनिरपेक्ष छवि को दोबारा स्थापित किया जा सके। वहीं, दूसरी ओर, समर्थकों का कहना है कि यह कदम धार्मिक सहिष्णुता और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर में सामाजिक और धार्मिक भावनाएं कितनी गहराई से जुड़ी हुई हैं। महबूबा मुफ्ती का यह दौरा चाहे जितना भी राजनीतिक नजरिए से देखा जाए, लेकिन यह जरूर है कि इसने कश्मीर में बहुसांस्कृतिक संवाद की एक नई चर्चा को जन्म दिया है। इससे आने वाले दिनों में घाटी के सामाजिक-सांस्कृतिक माहौल पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।