प्रयागराज में सपा नेता का वायरल वीडियो: राइफल लेकर नगर निगम की टीम को दौड़ाया

उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर चर्चा में है। प्रयागराज जिले के धूमनगंज थाना क्षेत्र स्थित विवेकानंद पार्क में समाजवादी पार्टी के नेता अमरनाथ मौर्य का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में सपा नेता खुलेआम राइफल लेकर नगर निगम की टीम को दौड़ाते नजर आ रहे हैं। यह दृश्य न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि कानून व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।



दरअसल, नगर निगम की टीम विवेकानंद पार्क की सफाई और अतिक्रमण हटाने के लिए पहुंची थी। स्थानीय प्रशासन के अनुसार यह जमीन सार्वजनिक है और लंबे समय से इसकी सफाई नहीं हुई थी। लेकिन जैसे ही नगर निगम की टीम वहां पहुंची, सपा नेता अमरनाथ मौर्य मौके पर आए और दावा किया कि यह जमीन उनकी है। विवाद इतना बढ़ गया कि उन्होंने अपने हाथ में राइफल उठा ली और निगमकर्मियों को धमकाते हुए दौड़ाया। पूरी घटना पास मौजूद लोगों ने कैमरे में रिकॉर्ड कर ली और यह वीडियो देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।



वीडियो में स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है कि अमरनाथ मौर्य राइफल के साथ न केवल धमका रहे हैं, बल्कि कर्मचारियों को जान से मारने की धमकी भी दे रहे हैं। इस दौरान वहां खड़े सुरक्षा कर्मी मूकदर्शक बने रहे और किसी ने भी सपा नेता को रोकने की कोशिश नहीं की। सवाल यह उठता है कि क्या कोई भी राजनेता कानून से ऊपर है? क्या आम जनता और सरकारी कर्मचारियों की सुरक्षा का कोई महत्व नहीं रह गया है?

पुलिस प्रशासन ने वायरल वीडियो का संज्ञान लिया है और जांच शुरू कर दी है। प्रयागराज पुलिस का कहना है कि मामले की गहन जांच की जा रही है और जल्द ही इस पर कार्रवाई की जाएगी। अगर यह आरोप सही पाए जाते हैं तो अमरनाथ मौर्य पर आर्म्स एक्ट और सरकारी कार्य में बाधा डालने जैसी धाराओं में केस दर्ज हो सकता है। प्रशासन का कहना है कि किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं किसी भी राजनीतिक दल की साख को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं। समाजवादी पार्टी पहले से ही कानून व्यवस्था के मुद्दे पर विपक्ष के निशाने पर रही है। अब जब खुद पार्टी से जुड़े नेता इस तरह की हरकत करते हैं, तो जनता का भरोसा डगमगाना स्वाभाविक है। हालांकि अभी तक समाजवादी पार्टी की ओर से इस पूरे मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि प्रशासनिक कार्यों में राजनीतिक हस्तक्षेप किस हद तक बढ़ चुका है। जब एक सत्तारूढ़ दल का नेता खुलेआम हथियार लेकर सरकारी काम में बाधा डाल सकता है, तो यह एक चिंताजनक स्थिति है। कानून व्यवस्था और शासन की निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए, चाहे वे किसी भी दल से ताल्लुक रखते हों।

फिलहाल प्रयागराज पुलिस की जांच जारी है, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर से राजनीतिक नेताओं की जवाबदेही, पुलिस की निष्क्रियता और प्रशासनिक प्रक्रिया की पारदर्शिता को केंद्र में ला दिया है। आम जनता अब देख रही है कि क्या वाकई ऐसे मामलों में निष्पक्षता से कार्रवाई होती है या फिर राजनीतिक रसूख एक बार फिर न्याय के रास्ते में बाधा बन जाता है।