दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल ‘चेनाब ब्रिज’ हुआ शुरू – वंदे भारत ट्रेन अब कश्मीर की वादियों तक दौड़ेगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जून 2025 को भारत की एक ऐतिहासिक और महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्घाटन किया। यह परियोजना है — चेनाब रेलवे ब्रिज, जो अब दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल बन गया है। इस पुल का उद्घाटन न केवल भारतीय रेलवे के इतिहास में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह कश्मीर को भारत के अन्य हिस्सों से जोड़ने की दिशा में भी एक क्रांतिकारी कदम है।



चेनाब रेल ब्रिज जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में स्थित है और यह चिनाब नदी पर बना हुआ है। इस ब्रिज की ऊंचाई 359 मीटर (1,178 फीट) है, जो इसे पेरिस के मशहूर एफिल टॉवर से भी 35 मीटर ऊंचा बनाता है। यह पुल अब विश्व का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज है, जिसने इंजीनियरिंग की दृष्टि से भी एक नया इतिहास रच दिया है।

इस विशाल परियोजना की शुरुआत वर्ष 1997 में की गई थी। यह पुल उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (USBRL) का हिस्सा है, जिसकी कुल लंबाई 272 किलोमीटर है। इस परियोजना में 36 सुरंगें और 900 से अधिक छोटे-बड़े पुल शामिल हैं। इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत लगभग ₹46,000 करोड़ रुपये रही है। यह परियोजना न केवल कश्मीर को रेल नेटवर्क से जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि देश की एकता और अखंडता का प्रतीक भी बन गई है।



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर जम्मू-कश्मीर के कटरा से श्रीनगर के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को भी हरी झंडी दिखाई। यह पहली बार है जब भारत की आधुनिक और तेज रफ्तार ट्रेन वंदे भारत, घाटी में दौड़ेगी। इस नई रेल सेवा से पर्यटकों, व्यापारियों और स्थानीय नागरिकों को असाधारण सुविधा मिलने जा रही है। साथ ही, यह रेलवे संपर्क जम्मू और कश्मीर की अर्थव्यवस्था को भी गति देगा।

इस ब्रिज का निर्माण उच्च गुणवत्ता की स्टील और इंजीनियरिंग तकनीक से किया गया है। इसे इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यह भूकंप, उच्च वेग की हवाओं और यहां तक कि विस्फोटों को भी झेल सके। इसे -20 डिग्री सेल्सियस तक की ठंड और हर मौसम में संचालन के योग्य बनाया गया है। ब्रिज का आर्क स्टील से बना है और यह 467 मीटर लंबा है, जो दो विशाल खंभों के सहारे चिनाब नदी को पार करता है।



चेनाब ब्रिज का उद्घाटन भारत के इंजीनियरिंग कौशल और नवाचार का प्रमाण है। इसे 120 वर्षों तक स्थायी और टिकाऊ रहने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसके निर्माण में हजारों इंजीनियरों, तकनीशियनों और श्रमिकों ने वर्षों तक काम किया, और यह एक उदाहरण बन गया है कि भारत विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे का निर्माण करने में सक्षम है।

इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से जम्मू और कश्मीर के अंदरूनी क्षेत्रों तक पहुंच आसान हो गई है। अब पर्यटक श्रीनगर, पहलगाम, गुलमर्ग और अन्य लोकप्रिय स्थलों तक ट्रेन से जा सकेंगे। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार और व्यापार के नए अवसर मिलेंगे। कश्मीर अब एक नई रफ्तार से भारत की मुख्यधारा से जुड़ेगा, और यह पुल उस बदलाव का प्रवेश द्वार बनेगा।

रेल मंत्रालय ने इस पुल को भारत की इंजीनियरिंग विरासत के रूप में चिह्नित किया है। यह पुल न केवल पर्यटकों को आकर्षित करेगा, बल्कि आने वाले वर्षों में यह वैश्विक रेलवे इंजीनियरिंग के अध्यायों में भी एक प्रेरणा बन जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में इसे "एक भारत, श्रेष्ठ भारत" की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।

यदि आप इस ऐतिहासिक पुल की तस्वीरें और उससे जुड़ी तकनीकी जानकारी देखना चाहते हैं, तो आप आधिकारिक रेलवे पोर्टल या समाचार साइट्स पर जा सकते हैं। इस पुल से जुड़े सभी डिटेल्स भारत की तकनीकी शक्ति और आत्मनिर्भरता के प्रतीक हैं।

इस ऐतिहासिक दिन को देश के प्रत्येक नागरिक को गर्व से देखना चाहिए क्योंकि यह केवल एक पुल नहीं है, बल्कि यह भारत की एकता, प्रगति और अद्वितीय इंजीनियरिंग का प्रतीक है। अब वंदे भारत ट्रेन की गूंज कश्मीर की वादियों में सुनाई देगी, और यह दर्शाता है कि भारत अब दुनिया के सबसे कठिन भूभागों में भी रेल नेटवर्क बिछाने में सक्षम है।

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यह पुल भविष्य में भारत की पीढ़ियों के लिए एक गर्व की निशानी रहेगा, और यह दिखाएगा कि जब इरादा मजबूत हो, तो कोई भी ऊंचाई बहुत ऊंची नहीं होती।