उत्तराखंड के यमकेश्वर स्थित वनंतरा रिजॉर्ट में काम कर रही 19 वर्षीय अंकिता भंडारी की हत्या ने साल 2022 में पूरे देश को झकझोर दिया था। यह मामला न सिर्फ एक लड़की की हत्या का था, बल्कि सत्ता, पैसे और रसूख के दुरुपयोग का एक शर्मनाक उदाहरण भी बन गया। अब जब 31 मई 2025 को निचली अदालत ने इस मामले में तीनों आरोपियों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है, तो यह एक महत्वपूर्ण मोड़ जरूर है, लेकिन अभी भी कई अनुत्तरित सवाल लोगों के मन में बाकी हैं।
अंकिता भंडारी वनंतरा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम करती थी। उसी दौरान उस पर VIP गेस्ट को "स्पेशल सर्विस" देने का दबाव बनाया गया। ये सेवाएं दरअसल यौन शोषण की ओर इशारा करती थीं। अंकिता ने इसे साफ़ मना कर दिया और अपने साथियों से भी इस विषय में बात की। वह नौकरी छोड़ने वाली थी, लेकिन उससे पहले ही रिसॉर्ट मालिक के बेटे पुलकित आर्य, उसके दोस्त सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता ने मिलकर उसकी हत्या कर दी। उन्होंने अंकिता को नदी में फेंक दिया और उसे लापता बताया गया।
शुरुआत में पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन जैसे-जैसे सोशल मीडिया पर इसका विरोध बढ़ा, मामला सुर्खियों में आ गया और जांच शुरू हुई। जांच के बाद तीनों आरोपी गिरफ्तार हुए और अब उन्हें उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई है। यह फैसला निश्चित ही न्याय के लिए एक कदम है, लेकिन सवाल अब भी वही है — वह VIP गेस्ट कौन था?
आम जनता जानना चाहती है कि वह रसूखदार शख्स कौन था, जिसके लिए एक लड़की की जान ली गई। क्या वह कोई राजनेता था? क्या कोई उद्योगपति? क्यों अब तक उसका नाम सामने नहीं आया? क्या प्रशासन और न्यायपालिका उससे डरती है या उसे बचा रही है?
यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि यह मामला सिर्फ हत्या का नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज में महिलाओं की सुरक्षा, न्याय प्रणाली की निष्पक्षता और सत्ता के दुरुपयोग की सच्चाई को उजागर करता है। जब तक उस VIP गेस्ट की पहचान उजागर नहीं की जाती और उस पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक यह न्याय अधूरा माना जाएगा।
देश की जनता अब जागरूक है और सोशल मीडिया के ज़रिए सच्चाई को सामने लाने में सक्रिय भूमिका निभा रही है। अंकिता के लिए उठी आवाज़ें एक नई उम्मीद लेकर आई हैं, लेकिन इस उम्मीद को तब तक सुकून नहीं मिलेगा, जब तक पूरा सच सामने नहीं आता।
#JusticeForAnkitaBhandari की मांग आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी 2022 में थी। सरकार, पुलिस और अदालत की यह जिम्मेदारी बनती है कि वो न सिर्फ हत्यारों को सज़ा दें, बल्कि इस केस से जुड़े हर व्यक्ति, हर रसूखदार की पहचान उजागर करें और कानून के दायरे में लाएं।
जब तक VIP गेस्ट का चेहरा बेनकाब नहीं होता, तब तक अंकिता को पूरा न्याय नहीं मिला।