बरेली में मदरसा संचालक जुबैर द्वारा शिक्षिका से दुष्कर्म: एक शर्मनाक घटना ने उठाए सवाल

उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले से एक शर्मनाक और दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने ना सिर्फ शिक्षा व्यवस्था पर बल्कि समाज की नैतिकता पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। फतेहगंज पश्चिमी क्षेत्र में स्थित एक मदरसे के संचालक जुबैर को एक महिला शिक्षक के साथ दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह घटना उस वक्त हुई जब पीड़िता को काम के बहाने अवकाश के दिन मदरसे में बुलाया गया।

जानकारी के मुताबिक, जुबैर ने महिला शिक्षक को मदरसे में कुछ जरूरी कागजी कार्य के नाम पर बुलाया था। जब महिला कई घंटे बीतने के बाद भी घर नहीं लौटी, तो परिवार के लोग चिंतित हो गए और मदरसे की ओर रवाना हुए। वहां पहुँचने पर उन्होंने महिला को अचेत अवस्था में पाया। उसके कपड़े अस्त-व्यस्त थे और उसके शरीर पर कई निशान भी दिखाई दिए, जिससे स्पष्ट संकेत मिले कि उसके साथ जबरदस्ती की गई थी।

परिजनों द्वारा तुरंत पुलिस को सूचना दी गई, जिसके बाद स्थानीय पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए आरोपी जुबैर को गिरफ्तार कर लिया। पीड़िता को तुरंत जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद जब उसे होश आया तो उसने पूरी घटना की जानकारी दी। उसकी ओर से दिए गए बयान के आधार पर जुबैर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

इस घटना ने ना सिर्फ स्थानीय समुदाय को हिला दिया है, बल्कि पूरे प्रदेश में नाराज़गी का माहौल बना दिया है। लोगों का कहना है कि जिन जगहों को शिक्षा और संस्कार का केंद्र माना जाता है, वहीं इस प्रकार की घटनाएं होना बेहद चिंताजनक है। माता-पिता अब अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर अधिक चिंतित हैं, खासकर ऐसे संस्थानों में जहाँ धार्मिक और नैतिक शिक्षा देने का दावा किया जाता है।

कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना की निंदा करते हुए सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसे मामलों में सिर्फ गिरफ्तारी ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिए जल्द से जल्द सजा दिलवाई जानी चाहिए ताकि समाज में एक सख्त संदेश जाए।

बरेली की यह घटना इस बात की गंभीर चेतावनी है कि शिक्षा के नाम पर चल रहे कई संस्थानों में कैसी गतिविधियाँ चल रही हैं और कैसे अपराधी मानसिकता के लोग मासूमों का शोषण कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि ऐसे संस्थानों की नियमित निगरानी हो, शिक्षण संस्थानों में महिला स्टाफ और छात्राओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।

यह घटना न केवल पीड़िता और उसके परिवार के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक कड़वा अनुभव है। हमें मिलकर ऐसी सोच और ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे ताकि फिर किसी महिला को ऐसे दर्द से न गुजरना पड़े।