असम के धुबरी ज़िले में बकरीद के दिन एक गंभीर और संवेदनशील घटना सामने आई है, जिसने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ असामाजिक तत्वों ने हनुमान मंदिर के सामने गोमांस या गाय का सिर फेंक दिया, जिससे इलाके में भारी तनाव फैल गया। यह घटना उस समय सामने आई जब पूरे देश में बकरीद मनाई जा रही थी। मंदिर के बाहर यह निंदनीय कृत्य, न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला था, बल्कि इससे साम्प्रदायिक सौहार्द पर भी गंभीर असर पड़ा।
इस घटना के बाद मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इसे सुनियोजित साजिश करार देते हुए बेहद सख्त कदम उठाया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह हमला मंदिरों और हिंदू धर्मस्थलों को निशाना बनाकर साम्प्रदायिक दंगा फैलाने की कोशिश है। उन्होंने राज्य पुलिस को आदेश दिया कि ऐसे किसी भी उपद्रवी या दोषी पर शूट-एट-साइट यानी मौके पर ही गोली चलाने का निर्देश जारी किया गया है। यह आदेश अपने आप में असम सरकार की ओर से एक कठोर लेकिन स्पष्ट संदेश है—कि राज्य में धार्मिक स्थलों की अवमानना किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि असम में मंदिरों, नामघरों और किसी भी धार्मिक स्थल पर हमला करने वालों को किसी भी सूरत में छोड़ा नहीं जाएगा। उनकी सरकार "जीरो टॉलरेंस" की नीति पर काम कर रही है और अगर कोई सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश करता है तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। इस आदेश के बाद धुबरी में भारी सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है और इलाके को संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया है।
घटना के बाद स्थानीय लोगों में गुस्सा व्याप्त है। हालांकि पुलिस और प्रशासन ने समय रहते स्थिति को नियंत्रण में ले लिया, लेकिन इस घटना से यह ज़ाहिर होता है कि कुछ तत्व सामाजिक और धार्मिक ताने-बाने को तोड़ने की साज़िश रच रहे हैं। वायरल वीडियो और चश्मदीदों के अनुसार, यह पूरी घटना एक षड्यंत्र के तहत अंजाम दी गई है, जिससे दंगे भड़क सकें।
सीएम सरमा ने यह भी स्पष्ट किया कि वे अगले साल की बकरीद पर खुद धुबरी में रहेंगे और मंदिरों की सुरक्षा का जायजा लेंगे। उन्होंने यह भी आशंका जताई कि यह घटना कोई सामान्य असहमति या गलती नहीं, बल्कि सीमावर्ती इलाकों में चल रहे कथित बीफ माफिया और साम्प्रदायिक तत्वों की सुनियोजित चाल हो सकती है।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि असम के सीमावर्ती क्षेत्रों में पहले भी इस तरह की घटनाएं सामने आती रही हैं, जहां कुछ तत्व भारत विरोधी भावनाओं को उकसाने के लिए धार्मिक प्रतीकों को निशाना बनाते हैं। लेकिन इस बार सरकार का रुख बेहद कड़ा और साफ है।
निष्कर्षतः, धुबरी की यह घटना न केवल धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ है, बल्कि भारत की सामाजिक एकता के लिए भी खतरा है। ऐसे समय में जब देश को एकजुट होकर प्रगति की ओर बढ़ना चाहिए, ऐसे कृत्य समाज को पीछे खींचने का काम करते हैं। लेकिन असम सरकार और मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा का कड़ा रुख यह दर्शाता है कि अब ऐसे तत्वों को कानून का सख्त सामना करना ही पड़ेगा।
सरकार की जिम्मेदारी है कि वह धर्म, जाति और समुदाय के आधार पर भेदभाव करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करे और आम नागरिकों को सुरक्षा व न्याय का भरोसा दे। अब देखना यह होगा कि इस आदेश के बाद राज्य में कितनी जल्दी शांति बहाल होती है और दोषियों को कितनी सख्त सजा मिलती है।