D Gukesh dominates by defeating Magnus Carlsen:-मैग्नस कार्लसन को हराकर छाए डी गुकेश नॉर्वे शतरंज 2025 में रचा इतिहास

भारतीय शतरंज प्रेमियों के लिए यह गर्व और उत्साह का क्षण है। युवा ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने नॉर्वे शतरंज 2025 के छठे दौर में विश्व नंबर 1 खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को हराकर सनसनी मचा दी है। यह न केवल गुकेश की इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में पहली क्लासिकल जीत है, बल्कि विश्व स्तर पर भारतीय शतरंज की बढ़ती ताकत का प्रतीक भी है। यह मुकाबला शतरंज इतिहास के उन पलों में शामिल हो गया है जिसे हमेशा याद किया जाएगा।



नॉर्वे शतरंज टूर्नामेंट को शतरंज की दुनिया में बेहद प्रतिष्ठा प्राप्त है, और इसमें भाग लेना ही किसी खिलाड़ी के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। मैग्नस कार्लसन, जो इस टूर्नामेंट के मेज़बान और विश्व चैंपियन रह चुके हैं, उनसे क्लासिकल मुकाबले में जीत हासिल करना बेहद कठिन माना जाता है। गुकेश ने यह असंभव सा लगने वाला कार्य कर दिखाया।

मैच की शुरुआत में ऐसा लग रहा था कि कार्लसन की स्थिति मजबूत है और वह एक बार फिर से जीत की ओर बढ़ रहे हैं। लेकिन समय की कमी के दबाव में उन्होंने एक बड़ी चूक कर दी, जिसका गुकेश ने फायदा उठाया और शानदार रणनीति के साथ मैच अपने नाम कर लिया। इस अप्रत्याशित हार से आहत कार्लसन ने मैच समाप्त होने पर मेज पर गुस्से में हाथ मारा और बिना मीडिया से बात किए बाहर निकल गए। यह उनकी निराशा को दर्शाता है और यह भी कि गुकेश की यह जीत कितनी चौंकाने वाली रही।



डी गुकेश की यह जीत खास इसलिए भी है क्योंकि पहले दौर में उन्हें कार्लसन से हार का सामना करना पड़ा था। उन्होंने न केवल उस हार का बदला लिया, बल्कि अपनी मानसिक दृढ़ता और शतरंज के प्रति प्रतिबद्धता को भी साबित किया। इस जीत के साथ अब गुकेश टूर्नामेंट में शीर्ष पर चल रहे कार्लसन और फबियानो कारुआना से केवल एक अंक पीछे हैं। ऐसे में अगले दौरों में यह प्रतियोगिता और भी रोमांचक हो सकती है।

गुकेश ने मैच के बाद अपने बयान में कहा कि यह उनके लिए एक "भाग्यशाली दिन" था। उन्होंने विनम्रता से स्वीकार किया कि यह वह तरीका नहीं था जिससे वह विश्व नंबर 1 को हराना चाहते थे। उनकी यह विनम्रता और खेल भावना खेल जगत के लिए प्रेरणा है। जहां एक ओर कार्लसन की प्रतिक्रिया ने कई प्रशंसकों को चौंका दिया, वहीं गुकेश की शांत और मर्यादित प्रतिक्रिया ने सभी का दिल जीत लिया।

इस ऐतिहासिक जीत के साथ डी गुकेश भारतीय शतरंज के युवा चेहरों में सबसे चमकदार सितारा बनकर उभरे हैं। वे पहले ही साबित कर चुके हैं कि उनमें विश्व चैंपियन बनने की पूरी क्षमता है। यह जीत उनके आत्मविश्वास को और बढ़ाएगी और आने वाले अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में उन्हें और मजबूती देगी।

शतरंज की दुनिया में भारतीय प्रतिभाओं का बढ़ता प्रभाव अब किसी से छिपा नहीं है। विश्वनाथन आनंद के बाद अब डी गुकेश, प्रज्ञानानंद, अरविंद चितांबरम जैसे युवा खिलाड़ी भारतीय शतरंज को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं। गुकेश की यह जीत न केवल उनके करियर का सुनहरा अध्याय है, बल्कि भारतीय खेल इतिहास में भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में दर्ज होगी।

इस जीत से यह स्पष्ट हो गया है कि अब भारत विश्व शतरंज का केवल एक प्रतिभागी देश नहीं रहा, बल्कि वह एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभर रहा है। आने वाले मुकाबलों में क्या गुकेश इस लय को बनाए रख पाएंगे और टूर्नामेंट में बाजी मारेंगे, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा। फिलहाल तो यह कहा जा सकता है कि डी गुकेश ने इतिहास रच दिया है और उनकी यह उपलब्धि भारतीय शतरंज को एक नई दिशा देगी।