उत्तर प्रदेश के औरैया जिले की चर्चित यूट्यूबर शिवानी कुमारी एक बार फिर सोशल मीडिया की सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है एक ऐसा वीडियो, जो खुद शिवानी द्वारा अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया है, जिसमें वह अपने परिवार और पड़ोसियों के बीच हुए विवाद के दौरान खुद लाठी लेकर लड़ाई करती नजर आ रही हैं। यह वीडियो केवल एक व्यक्तिगत विवाद नहीं रहा, बल्कि अब यह एक सामाजिक बहस का विषय बन गया है, जिसमें डिजिटल कंटेंट की सीमाएं, यूट्यूबर की जिम्मेदारी और ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती सोशल मीडिया की ताकत पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
वीडियो में दिखाया गया है कि शिवानी कुमारी के परिवार और पड़ोसी पक्ष के बीच जमकर झगड़ा हुआ। इस दौरान शिवानी खुद लाठी लेकर भिड़ने पहुंच गईं और उन्होंने पूरा घटनाक्रम अपने कैमरे में रिकॉर्ड भी किया। वीडियो में पुलिस भी नजर आती है, जो मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है। खास बात यह है कि पूरी घटना को शिवानी ने व्लॉग की तरह रिकॉर्ड किया और अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड कर दिया, जिसे लाखों लोगों ने देखा और शेयर किया।
इस पूरी घटना को लेकर सोशल मीडिया पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोगों ने शिवानी की निडरता और साहस की सराहना की है तो कई लोगों ने इस बात की आलोचना की कि एक गंभीर पारिवारिक और सामाजिक विवाद को व्लॉग बना देना सही नहीं है। यूजर्स का कहना है कि 'प्राण जाए पर डॉलर ना जाए' जैसे रवैये से सोशल मीडिया की जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। क्या हर विवाद या दुखद घटना को कंटेंट बना देना सही है?
शिवानी कुमारी पहले भी कई बार चर्चा में रह चुकी हैं। उनकी लोकप्रियता का कारण सिर्फ उनका बोलने का तरीका नहीं, बल्कि वह संघर्ष है जो उन्होंने कम उम्र में झेला। शिवानी एक गरीब परिवार से आती हैं और उन्होंने तमाम विरोधों के बीच अपनी पहचान बनाई है। कई बार उन्हें अपने ही घर वालों और गांववालों के तानों और विरोध का सामना करना पड़ा। एक बार उन्होंने खुद यह भी बताया कि उनकी मां ने वीडियो बनाने से रोकने के लिए उन्हें चाकू मार दिया था।
इस घटना के बाद एक बार फिर यह बहस शुरू हो गई है कि क्या सोशल मीडिया पर हर चीज़ को शेयर कर देना, खासकर निजी विवाद या आपसी झगड़े, उचित है? क्या एक यूट्यूबर की जिम्मेदारी सिर्फ व्यूज़ और सब्सक्राइबर तक सीमित होनी चाहिए या समाज में उसका कोई व्यापक प्रभाव भी होता है?
शिवानी कुमारी की यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि डिजिटल युग में कंटेंट और संवेदना के बीच संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी है। जब किसी की निजी जिंदगी सार्वजनिक हो जाती है, तब जिम्मेदारी और जवाबदेही भी उतनी ही बढ़ जाती है। यह घटना न सिर्फ एक वायरल वीडियो है, बल्कि यह एक आईना भी है उस समाज का, जहां हर लड़ाई अब ‘कंटेंट’ बन चुकी है।