भारतीय वायुसेना की ताकत, संकल्प और सांस्कृतिक जड़ों का एक अद्भुत उदाहरण हाल ही में तब देखने को मिला, जब एयर ऑपरेशन के डायरेक्टर जनरल एयर मार्शल अवधेश कुमार भारती (A.K. Bharti) ने एक महत्वपूर्ण संदेश देते हुए भगवान श्रीराम की वाणी का सहारा लिया। उन्होंने रामचरितमानस की एक प्रसिद्ध चौपाई के माध्यम से उन लोगों को चेतावनी दी जो भारत की शांति और संप्रभुता को चुनौती देने का प्रयास कर रहे हैं।
उनका उद्धृत किया गया श्लोक था:
"विनय न मानत जलधि जड़, गए तीन दिन बीत।
बोले राम सकोप तब—भय बिनु होइ न प्रीति।।"
इस चौपाई का गूढ़ अर्थ है कि जब विनम्रता, संवाद और धैर्य का मार्ग अपनाने के बाद भी कोई सामने वाला समझने को तैयार नहीं होता, तब शक्ति का प्रयोग करना आवश्यक हो जाता है। यह वही क्षण था जब भगवान श्रीराम ने समुद्र से बार-बार आग्रह करने के बाद भी जब कोई समाधान नहीं निकला, तो उन्होंने क्रोध में आकर धनुष उठाया और समुद्र को चेतावनी दी। इसी भाव को एयर मार्शल भारती ने भारत की सैन्य रणनीति के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया।
यह वक्तव्य सिर्फ एक धार्मिक सन्दर्भ नहीं था, बल्कि यह दर्शाता है कि भारतीय वायुसेना के अधिकारी न केवल रणनीतिक और सैन्य दृष्टिकोण से मजबूत हैं, बल्कि वे भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत से भी गहराई से जुड़े हुए हैं। रामचरितमानस की इस चौपाई के माध्यम से एयर मार्शल भारती ने न केवल एक कड़ा संदेश दिया बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि भारत शांति में विश्वास करता है, लेकिन यदि किसी ने इस शांति को कमजोरी समझा, तो उसकी बड़ी भूल होगी।
भारत हमेशा से ही "वसुधैव कुटुम्बकम्" की भावना को लेकर चलता आया है। भारत ने हमेशा अपने पड़ोसी देशों के साथ सौहार्द और मित्रता का व्यवहार किया है। लेकिन जब देश की सुरक्षा, सम्मान और एकता पर खतरा आता है, तो भारत पीछे हटने वालों में से नहीं है। एयर मार्शल भारती का यह संदेश इस सिद्धांत को और अधिक मजबूती से दुनिया के सामने रखता है।
इस प्रकार का बयान न केवल सैन्य शक्ति का संकेत देता है, बल्कि यह दुश्मनों के लिए एक मनोवैज्ञानिक चेतावनी भी है। जब एक उच्च सैन्य अधिकारी धार्मिक ग्रंथों से उदाहरण देकर अपनी बात रखता है, तो वह न केवल भावनात्मक स्तर पर सशक्त होता है, बल्कि उसमें नैतिक दृढ़ता भी झलकती है।
रामचरितमानस की यह चौपाई भारतीय संस्कृति में दृढ़ निश्चय और न्याय के लिए खड़े होने की प्रेरणा देती है। एयर मार्शल भारती का यह संदेश हमें यह याद दिलाता है कि भारत केवल युद्ध करने के लिए नहीं, बल्कि जरूरत पड़ने पर किसी भी चुनौती का जवाब देने के लिए भी पूरी तरह से सक्षम है।
इस घटना से यह स्पष्ट हो गया है कि भारतीय वायुसेना केवल तकनीकी रूप से ही नहीं, बल्कि वैचारिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी समृद्ध है। यह संतुलन ही भारत को एक शक्तिशाली लेकिन जिम्मेदार वैश्विक शक्ति बनाता है।
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