👋 Join Us अगर सरदार पटेल की बात मान ली जाती, तो आज POK भारत का हिस्सा होता – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

अगर सरदार पटेल की बात मान ली जाती, तो आज POK भारत का हिस्सा होता – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर ऐतिहासिक संदर्भों को उठाते हुए यह बात कही है कि यदि भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को जम्मू-कश्मीर से जुड़े फैसले लेने की पूरी आज़ादी दी गई होती, तो आज पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (POK) भारत का अभिन्न हिस्सा होता। प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल भारत के विभाजन के समय की घटनाओं को याद दिलाता है, बल्कि आज भी जारी कश्मीर विवाद की जड़ों तक ले जाता है।

सरदार पटेल को लौह पुरुष कहा जाता है, जिन्होंने 500 से अधिक रियासतों को एकजुट कर भारत में विलय कराया। उन्होंने हैदराबाद, जूनागढ़ और अन्य कई जटिल राज्यों को भारत का हिस्सा बनाने में निर्णायक भूमिका निभाई। लेकिन जब बात जम्मू-कश्मीर की आई, तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने यह मामला अपने अधीन रखा और सरदार पटेल को इसमें पूर्ण रूप से हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी गई। मोदी का कहना है कि यदि पटेल को वही स्वतंत्रता मिलती, जैसी अन्य रियासतों के मामलों में मिली थी, तो शायद कश्मीर का भविष्य आज कुछ और होता।




जम्मू-कश्मीर भारत में विलय तो हुआ, लेकिन पाकिस्तान ने तुरंत उस पर आक्रमण कर दिया। महाराजा हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी, जिसके बाद विलय की प्रक्रिया पूरी हुई। लेकिन भारत ने यह मामला संयुक्त राष्ट्र में ले जाकर उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना दिया। यही से POK यानी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का गठन हुआ। प्रधानमंत्री मोदी का तात्पर्य यह है कि अगर यह निर्णय सरदार पटेल के हाथों में होता, तो शायद संयुक्त राष्ट्र में यह मुद्दा उठाया ही नहीं जाता और भारत की कूटनीति कुछ और रूप लेती।

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि यदि सरदार पटेल को जम्मू-कश्मीर के मामलों में जिम्मेदारी दी जाती, तो आज POK की स्थिति अलग होती। उनका कहना है कि मोदी सरकार की मंशा स्पष्ट है – अब POK सिर्फ एक लक्ष्य नहीं बल्कि राष्ट्रीय संकल्प है। यह बयान दर्शाता है कि भारत सरकार कूटनीतिक और सामरिक दृष्टिकोण से अब भी इस क्षेत्र पर दावा मजबूत बनाए हुए है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कई बार यह भी कहा है कि देश को आज भी इस बात का पछतावा है कि सरदार पटेल के बजाय नेहरू को पहला प्रधानमंत्री बनाया गया। उनका मानना है कि अगर पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री होते, तो भारत की नींव और भी मजबूत होती और संभवतः कश्मीर समस्या भी इतनी उलझी हुई न होती।

सरदार पटेल के योगदान को आज भी भारत में बहुत सम्मान दिया जाता है। उनकी जयंती पर 'राष्ट्रीय एकता दिवस' मनाया जाता है और उनके सम्मान में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का निर्माण किया गया, जो आज दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है।

इस बयान के पीछे केवल राजनीति नहीं बल्कि इतिहास से सीखने की भावना भी है। प्रधानमंत्री मोदी का यह कथन हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि भारत के विभाजन और एकीकरण की प्रक्रिया में अगर कुछ निर्णय अलग होते, तो आज भारत की सीमाएं और उसका भूगोल कुछ और होता।

निष्कर्ष में, यह स्पष्ट है कि सरदार पटेल के पास निर्णय लेने की पूरी शक्ति होती, तो कश्मीर का इतिहास बदल सकता था। आज भी उनकी सोच, नीतियों और राष्ट्रप्रेम से भारत को दिशा मिलती है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा यह मुद्दा उठाना हमें इतिहास से जुड़ी उन भूलों की ओर इशारा करता है, जिन्हें दोहराने से बचना चाहिए।

स्रोत लिंक:
अगर गांधी जी ने सरदार पटेल की ये बात मान ली होती तो आज POK हमारा होता (YouTube)
NewsnationTV रिपोर्ट
आज तक रिपोर्ट