इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहुल गांधी को लगाई फटकार: “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सेना की मानहानि की छूट नहीं देती”

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को एक बार फिर न्यायिक मोर्चे पर बड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय सेना को लेकर की गई उनकी एक टिप्पणी पर उन्हें सख्त फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि संविधान में प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार किसी को भी भारतीय सेना जैसे संवेदनशील और राष्ट्रीय गौरव से जुड़े संस्थान की मानहानि करने की छूट नहीं देता। यह टिप्पणी 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी द्वारा चीनी सैनिकों से संबंधित दिए गए बयान के संदर्भ में की गई।

राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कहा था कि “चीनी सैनिक भारतीय सैनिकों को पीट रहे हैं।” इस बयान को लेकर पूर्व सीमा सड़क संगठन (BRO) निदेशक और सामाजिक कार्यकर्ता उदय शंकर श्रीवास्तव ने लखनऊ की एक अदालत में उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था। इस शिकायत के आधार पर स्थानीय अदालत ने राहुल गांधी को समन जारी किया, जिसके खिलाफ उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर समन रद्द करने की मांग की।



हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने राहुल गांधी की याचिका को खारिज कर दिया और सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि, “भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(a) नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोई भी संवेदनशील संस्था जैसे सेना के खिलाफ कुछ भी कहे और उसे स्वतंत्रता का हिस्सा मान लिया जाए।”

अदालत ने आगे कहा कि देश की सेना न केवल देश की सीमाओं की रक्षा करती है, बल्कि वह देशवासियों के विश्वास और सम्मान का प्रतीक भी है। ऐसे में सेना के विरुद्ध सार्वजनिक रूप से गलतबयानी करना न केवल गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि देश की छवि को भी नुकसान पहुंचा सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि सार्वजनिक व्यक्तित्वों को अपने बयान सोच-समझकर देने चाहिए, क्योंकि उनके शब्दों का सीधा असर आम जनता की सोच और सुरक्षा बलों के मनोबल पर पड़ता है।

हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि राहुल गांधी इस समन के खिलाफ सीधे उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने की बजाय पहले सत्र न्यायालय में अपील कर सकते थे। इसलिए उनकी याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती।

इस निर्णय के साथ अब राहुल गांधी को लखनऊ की अदालत में पेश होना होगा और मानहानि के मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। इससे पहले भी सावरकर पर की गई विवादास्पद टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ अलग मानहानि का मामला दर्ज हो चुका है, जिसमें उन्हें पहले ही झटका मिल चुका है।

इस मामले का राजनीतिक असर भी गहरा माना जा रहा है। जहां एक ओर भाजपा राहुल गांधी की बयानबाजी को देश के खिलाफ मानती है, वहीं कांग्रेस इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की लड़ाई बता रही है। लेकिन कोर्ट का यह स्पष्ट रुख यह दर्शाता है कि जब बात सेना जैसे संवेदनशील विषय की हो, तो देशहित सर्वोपरि होता है।

यह घटना एक अहम संदेश देती है कि लोकतंत्र में स्वतंत्रता के साथ-साथ जिम्मेदारी भी अनिवार्य है। सार्वजनिक जीवन में सक्रिय नेताओं को यह समझना होगा कि उनके शब्द केवल विचार नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने वाली शक्ति होते हैं। विशेषकर जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी हो, तो राजनीतिक बयानबाजी बेहद संतुलित और तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए। वरना न केवल न्यायपालिका, बल्कि जनता का भी विश्वास डगमगा सकता है।