भारत की डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। टाटा एडवांस सिस्टम्स लिमिटेड (Tata Advanced Systems Limited – TASL) और फ्रांस की विख्यात रक्षा कंपनी डसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) के बीच एक बड़ा करार हुआ है, जिसके तहत अब भारत में राफेल फाइटर जेट के मुख्य हिस्से यानी फ्यूसेलाज (Fuselage) का निर्माण किया जाएगा। यह न केवल भारतीय वायुसेना के लिए बल्कि पूरी दुनिया में राफेल की आपूर्ति के लिए एक अहम योगदान साबित होगा। यह पहली बार होगा जब फ्रांस के बाहर राफेल का निर्माण भारत में होगा।
यह करार भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को मजबूती देता है, जिसमें देश को रक्षा उत्पादन और निर्यात के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। भारत अब न केवल राफेल फाइटर जेट्स की आवश्यकता को पूरा करेगा, बल्कि इनके कुछ मुख्य पुर्जों की वैश्विक सप्लाई का केंद्र भी बनेगा। डसॉल्ट एविएशन के साथ हुए इस समझौते के बाद उत्तर प्रदेश के नोएडा या जेवर क्षेत्र में एक अत्याधुनिक मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित किया जाएगा, जहां फ्यूसेलाज निर्माण के साथ-साथ मिराज-2000 और अन्य विमानों के लिए MRO (Maintenance, Repair and Overhaul) सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
भारत सरकार की सक्रियता और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की नीति का परिणाम यह है कि भारत में रक्षा उत्पादन वित्त वर्ष 2023-24 में ₹1.27 लाख करोड़ तक पहुंच चुका है। यह 2014-15 की तुलना में लगभग 174% की वृद्धि है। इसके साथ ही रक्षा निर्यात ₹21,000 करोड़ के पार चला गया है, जो भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत कर रहा है। सरकार ने 2029 तक रक्षा उत्पादन को ₹3 लाख करोड़ और निर्यात को ₹50,000 करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
इस बड़ी उपलब्धि के पीछे भारत की रणनीतिक सोच है, जो न केवल देश की रक्षा जरूरतों को पूरा करने पर केंद्रित है बल्कि भारत को एक ग्लोबल डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित करने का सपना भी साकार कर रही है। टाटा और डसॉल्ट की यह साझेदारी इस दिशा में एक बड़ा कदम है। यह भविष्य में भारत को न केवल रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि वैश्विक हथियार आपूर्ति बाजार में भी एक अहम खिलाड़ी बना देगा।
इस कदम से देश में हज़ारों लोगों को रोज़गार मिलेगा, विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा और भारत की वैश्विक साख भी मज़बूत होगी। रक्षा के क्षेत्र में यह परिवर्तन भारत के लिए सिर्फ तकनीकी प्रगति नहीं बल्कि सामरिक ताकत का भी संकेत है। भारत अब केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि निर्माता और आपूर्तिकर्ता के रूप में विश्व मंच पर उभर रहा है।