भारत सरकार ने एयर कंडीशनिंग (AC) के उपयोग को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है, जो देशभर के सभी घरों, ऑफिसों और दुकानों में उपयोग किए जाने वाले एसी उपकरणों को प्रभावित करेगा। अब नए नियम के अनुसार AC को 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे और 28 डिग्री सेल्सियस से ऊपर सेट नहीं किया जा सकेगा। सरकार के इस कदम का उद्देश्य ऊर्जा की बचत, बिजली की खपत में कमी और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है।
इस निर्णय के पीछे मुख्य कारण बढ़ती हुई बिजली की मांग और AC के अत्यधिक उपयोग से होने वाली ऊर्जा की बर्बादी है। गर्मियों के मौसम में देश के विभिन्न हिस्सों में बिजली ग्रिड पर भारी दबाव पड़ता है। ऐसे में यह नया नियम ऊर्जा मंत्रालय और BEE (Bureau of Energy Efficiency) द्वारा जारी किया गया है ताकि ऊर्जा उपयोग को नियंत्रित किया जा सके और दीर्घकालिक बचत सुनिश्चित की जा सके।
सरकार ने इससे पहले भी 2020 में एक निर्देश जारी किया था जिसमें सभी एसी को 24°C के डिफ़ॉल्ट तापमान पर सेट करने की सिफारिश की गई थी। हालांकि, तब उपयोगकर्ता को तापमान बदलने की अनुमति थी। लेकिन अब जो नया मानकीकरण प्रस्तावित किया गया है, उसके तहत कंपनियां अब केवल वही यूनिट बना पाएंगी जिनका तापमान 20°C से नीचे और 28°C से ऊपर सेट नहीं किया जा सकेगा।
सरकार के अनुसार इस फैसले से आने वाले तीन वर्षों में देशभर में लगभग 20,000 करोड़ रुपये की बिजली की बचत हो सकती है। इसके साथ ही कार्बन उत्सर्जन में भी भारी कमी आने की उम्मीद जताई जा रही है। यह पहल न केवल ऊर्जा संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि यह उपभोक्ताओं के लिए भी लाभकारी हो सकता है क्योंकि इससे उनके बिजली बिल में भी कमी आएगी।
विश्व स्तर पर भी ऐसे प्रयास किए गए हैं। जापान जैसे देश में 28°C तक का तापमान ही AC में अनुमत है और अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में 26°C से नीचे AC नहीं चलाया जा सकता। भारत सरकार का यह निर्णय इसी दिशा में एक सकारात्मक पहल मानी जा रही है जो पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में सहायक सिद्ध हो सकती है।
सरकार की यह पहल स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी उपयोगी है। बहुत कम तापमान पर चलने वाले AC से शरीर पर ठंडक का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है जो कोल्ड स्ट्रेस, सर्दी-जुकाम, सिरदर्द जैसी समस्याओं को जन्म देता है। वहीं यदि तापमान को मानक सीमा में रखा जाए तो स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
यह नया नियम सभी नए एयर कंडीशनर यूनिट्स पर लागू होगा। निर्माता कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि AC में तापमान सेटिंग की सीमा 20°C से नीचे और 28°C से ऊपर ना हो। पुराने AC यूनिट्स पर यह नियम अभी लागू नहीं किया गया है, लेकिन सरकार भविष्य में इसे सभी उपभोक्ताओं के लिए अनिवार्य कर सकती है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो यह निर्णय एक दूरदर्शी और पर्यावरण हितैषी कदम है, जो न केवल ऊर्जा की बचत करेगा बल्कि उपभोक्ताओं को आर्थिक रूप से भी राहत देगा। साथ ही, यह देश की पर्यावरणीय स्थिति को सुधारने में भी मददगार साबित होगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आम जनता इस नियम को किस तरह से अपनाती है और इसका दैनिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।