भारत का 5वीं पीढ़ी का फाइटर जेट AMCA हुआ मंज़ूर – रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर ऐतिहासिक कदम

भारत ने आज आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ा दिया है। देश के पहले स्वदेशी 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट 'एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट' (AMCA) को रक्षा मंत्रालय से आधिकारिक मंजूरी मिल चुकी है। इस प्रोजेक्ट को "पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप" यानी सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के तहत विकसित किया जाएगा, जिससे यह उम्मीद जताई जा रही है कि देश की घरेलू रक्षा उत्पादन क्षमता को नई ऊंचाइयां मिलेंगी।

AMCA को भारत की प्रतिष्ठित एजेंसी DRDO (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन) और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) के सहयोग से बनाया जाएगा। इसे पूरी तरह से भारतीय वायु सेना और नौसेना की जरूरतों के अनुसार तैयार किया जा रहा है। यह एक स्टील्थ, ऑल-वेदर, मल्टीरोल फाइटर जेट होगा, जो एयर सुपीरियोरिटी, ग्राउंड अटैक, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, और दुश्मन की एयर डिफेंस सिस्टम को निष्क्रिय करने जैसे कई मिशनों को अंजाम देने में सक्षम होगा।



AMCA प्रोजेक्ट को दो फेज में पूरा करने की योजना बनाई गई है। पहले फेज में 5वीं पीढ़ी के तकनीकी फीचर्स जैसे स्टील्थ तकनीक, एआई-सक्षम सेंसर, नेटवर्क सेंट्रिक वॉरफेयर और सुपरक्रूज़ कैपेबिलिटी पर फोकस किया जाएगा। दूसरे फेज में 6वीं पीढ़ी की तकनीकों को शामिल करने की योजना है, जिससे यह एयरक्राफ्ट भविष्य में भी उन्नत बना रहेगा। प्रोजेक्ट का पहला प्रोटोटाइप 2028-29 तक तैयार होने की उम्मीद है, जबकि बड़े स्तर पर इसका प्रोडक्शन 2034 से शुरू किया जा सकता है।

भारत इस समय फिफ्थ जेनरेशन जेट बनाने की दौड़ में करीब एक दशक पीछे चल रहा है, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि AMCA जैसे स्वदेशी प्रोजेक्ट के सफल निर्माण से भारत एक बार फिर तकनीक के क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर सकता है। यदि अगले 5 वर्षों में यह प्रोजेक्ट समय से पहले या समय पर पूरा हो जाता है, तो यह दुनिया को चौंका सकता है और भारत को एयर डिफेंस टेक्नोलॉजी में एक प्रमुख स्थान दिला सकता है।

इस प्रोजेक्ट की सबसे खास बात यह है कि इसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए विकसित किया जाएगा। सरकार द्वारा प्रस्तावित SPV (Special Purpose Vehicle) मॉडल में DRDO एक टेक्नोलॉजी पार्टनर होगा और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) इसका एक प्रमोटर रहेगा। इसके साथ ही तीन प्रमुख निजी कंपनियां इस परियोजना में भागीदारी के लिए इच्छुक हैं। यह मॉडल न केवल निवेश को बढ़ावा देगा बल्कि निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता और दक्षता का लाभ भी मिलेगा।

हाल ही में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने HAL से अनुरोध किया है कि AMCA और LCA (लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) जैसे प्रोजेक्ट्स को कर्नाटक से स्थानांतरित कर आंध्र प्रदेश में स्थापित किया जाए ताकि राज्य में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को बढ़ावा मिल सके। इस विषय पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन इससे यह साफ है कि राज्य सरकारें भी इस मेगा डिफेंस प्रोजेक्ट में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।

AMCA प्रोजेक्ट न केवल तकनीकी रूप से भारत के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है, बल्कि इससे हजारों रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। इसके अलावा, स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा मिलने से विदेशी निर्भरता कम होगी और देश की सुरक्षा व्यवस्था और अधिक मज़बूत बनेगी।

निस्संदेह, भारत का AMCA प्रोजेक्ट आने वाले वर्षों में देश को रक्षा तकनीकी के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व दिलाने की ओर अग्रसर करेगा। यदि सब कुछ योजना के अनुसार चलता है, तो यह दिन दूर नहीं जब भारत पूरी तरह से आत्मनिर्भर और विश्व के टॉप डिफेंस टेक्नोलॉजी देशों की सूची में शामिल हो जाएगा।